हेलो दोस्तो ! मेरा नाम आदित्य है, मेरा love story एक रेस्टोरेंट से शुरुआत हुई थी, उम्मीद है आपको ये स्टोरी जरूर पसंद आएगी।
में अभी ग्रेजुकेशन कर रहा था हर दिन मेरा कॉलेज आना जाना रहता था, कॉलेज में न कोई दोस्त ना कोई बात करने वाला था, मैं खुद को कभी कभी बहुत अकेला समझता था, मॉर्निंग में घर से नाश्ता कर के कॉलेज जाना और दोपहर में रेस्टोरेंट में लंच, हर दिन का बस यही काम था, मेरे पढ़ाई में अच्छे मार्क्स आते थे, समय बीतने के साथ साथ एक दो दोस्त भी बने लेकिन मेरी लाइफ अभी भी आधूरी जैसी लगती थी, वो रेस्टोरेंट में अकेले खाना अकेले बाइक से कॉलेज आना सब अधूरा अधूरा सा लगता था, न मेरे लाइफ में कोई लड़की थी, शायद मैने ही कभी लड़कियों के बारे में नही सोचा था, बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता था, कोई लड़की मुझे देखती भी तो मैं उसे इग्नोर कर देता था, किसी तरह मेरी लाइफ धीरे धीरे चल रही थी,
पहली नज़र का पहला प्यार: College Short Love Story in Hindi : Romantic Love
आज मुझे कॉलेज में असाइनमेंट जमा करना था और मैं भूल गया था, बिना असाइनमेंट बनाए मैं कॉलेज पहुंच गया, असाइनमेंट न लाने के वजह से मुझे टीचर से बोहोत डांट पड़ी, मेरा मूड बोहोत खराब था, लंच करने का समय हो गया था और मुझे भूख भी लगी थी, मैं रेस्टोरेंट गया और खाने के लिए कुछ ऑर्डर किया, उस दिन रेस्टोरेंट में काफी भीड़ थी मुझे जोर से भूख भी लगी थी, खाना आने में कुछ टाइम लग रहा था, कुछ देर में मेरे पास एक लड़की आई और मेरे टेबल पे बैठने के बारे में पूछी, एक टेबल खाली होने के वजह से मैने भी उसे बोला, कोई बात नही आप यहां बैठ सकती है, उसने मुझे थैंक यू कहा और वो बैठ गई उसने भी same dish ऑर्डर किया,
कुछ देर में वेटर खाना लेके आया और उस लड़की ने एक जैसा खाना देख के स्माइल की ओर खाना खाने लगी, मैं चाहता था उससे बात करू लेकिन मैं कुछ बोल नही पाया, खाना खत्म होने के बाद हमलोग एक साथ पेमेंट करने के लिए काउंटर पर अपना debit card दिया, कॉलेज लेट हो जाने के वजह से मैने debit card लिया और कॉलेज चला गया,
कॉलेज छूटी होने के बाद मैं अपने घर के लिए निकल गया, मैं बाइक ड्राइव कर रहा था और उस लड़की के बारे में भी सोच रहा था, उसने red top के ऊपर व्हाइट जैकेट पहने हुवे थी, जो उसपे काफी जच रहा था, मैं सोच रहा था काश मैं उसका नाम पूछ पता, कुछ दूर जाने के बाद मेरा ध्यान बाइक के फ्यूल (Petrol) पर गया, पेट्रोल बस खतम ही होने वाला था तो मैने जल्दी से बाइक को पेट्रोल पंप लेकर गया, टैंक फुल करवाने के बाद मैने पेमेंट के लिए उसे अपना debit card दिया, जब मैने atm pin डाला तो wrong pin आ रहा था, दो तीन बार ट्राई करने के बाद मैने जब उस कार्ड को देखा तो उसमें नाम रितिका लिखा था, फिर मैने अपने दूसरे कार्ड से पेमेट किया और घर चला गया,
मैं सोच रहा था की मेरा debit card कहां गया, काफी देर सोचने के बाद मुझे याद आया आया की शायद उस लड़की से मेरा कार्ड एक्सचेंज हो गया होगा, कॉलेज के वजह से आज मेरा मूड ठीक नही था और मुझे कुछ पढ़ने का आज कुछ भी मन नही कर रहा था, फिर मैं मूवी देखते देखते सो गया,
सुबह टाइम से मैं कॉलेज पहुंच गया, क्लास भी अटेंड किया, मैं इंतहार कर रहा था उस लड़की से मिलने का जिससे मेरा कार्ड एक्सचेंज हु़वा था, लंच का समय हो गया था, मैं जल्दी से रेस्टोरेंट गया और उस रितिका का इंतहर करने लगा, लगभग 15 मिनट इंतजार करने के बाद वो आई, मैं फोन देख रहा था और वो बिना कुछ बोले टेबल पर बैठ गई, तब मेरा ध्यान उसपे गया, उसने स्माइल करते हुवे मुझसे कहा, क्यों मिस्टर किसी का इंतजार कर रहे हो,
ये सुन कर मैं भी स्माइल करने लगा और कहा, हां किसी का वेट कर रहे है, उसने मेरा debit card चोरी कर लिया है, फिर हम दोनो हसने लगे, और हमने आपस में अपना कार्ड एक्सचेंज किया, उसके बाद हमने साथ में खाना ऑर्डर किया और बात करते हुवे साथ खाना खाया, मेरे पूछने से पता चला की वो मेरे से एक साल जूनियर है,
उसने आपने बारे में भी बोहोत सी बातें बताई और मैने भी बताया, खाना खाने के बाद रितिका ने मेरे भी कहने का बिल दिया, मैने उसे मना भी करने की कोशिश की लेकिन उसने नही मानी, फिर हमलोग साथ में कॉलेज पोहचे और अपने अपने क्लास चले गए,
मैं अभी भी रितिका के बारे में सोच रहा था, मेरी पूरी लाइफ में वो पहली लड़की थी जिससे मैने इतनी देर बात किया था, कॉलेज के बाद मैं उसे फ्रेंडशिप के लिए पूछना चाह रहा था, छूटी होने के बाद मैने उसे हर जगह देखा लेकिन वो कही दिखी नही शायद वो घर चली गई थी, कुछ देर बाद मैं भी घर पहुंचा,
मैं अभी भी उसी के बारे में सोच रहा था, उसकी बड़ी बड़ी काली आंखे जैसे मैं उसमे खो सा गया था, मुझे रात भर नींद नहीं आई थी, सुबह होते ही मैं कॉलेज पोछा और रितिका का इंतजार करने लगा, कुछ देर में रितिका कॉलेज पहुंची, वो आज कुछ अलग दिख रही थी, मैं उसे देखा और बाद देखता ही रह गया, वो मेरे पास आ गई थी और मैं उसे अभी तक देख रहा था, फिर रितिका ने मुझे टच करते हुवे कहा क्या हवा तुम ठीक तो हो, मैने नजरे छुपते हुवे कहा मैं बिल्कुल ठीक हु, तुम कैसी हो, उसने स्माइल करते हुवे कहा मैं तो बिल्कुल ठीक हूं लेकिन तुम मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहे, मैने इस बात को इग्नोर करते हुवे कहा मैं ठीक हूं, और हम दोनो क्लास में चले गए,
लंच का टाइम हो गया था, मैं बाइक पे रितिका का इंतजार कर रहा था की साथ में लंच करने जायेंगे, कुछ देर में रितिका आई और बोली, मेरे लिए रुके हो, मैं भी स्माइल करते हुवे कहा, हां मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था, चला न साथ में लंच करते है, उसने भी हां कहा और बाइक पे बैठ गई, बाइक पे वो मेरे से काफी दूर पैठी, हमलोग रेस्टोरेंट पोछे और खाना खाया, इस बार मैंने बिल दिया और कॉलेज चले गए,
खाना खाते हुवे हम दोनो ने बोहोत सी बातें की लेकिन मैं अभी तक उससे दोस्ती के लिए कुछ नही पाया था, इस बात को लेकर मैं बोहोत सोचने लगा था, मुझे उससे बार बार बात करने का मन करने लगा रहा, फिर मैने सोच लिया की किसी तरह रितिका से आज दोस्ती के लिए कुछ ही लूंगा,
छूटी होते ही मैं रितिका का इंतजार करने लगा, रितिका कुछ देर में बाहर आई और मैंने उससे उसका फोन नंबर मांगा, रितिका ने बिना कुछ कहे अपना फोन नंबर दे दिया, और वो घर चली गई, और मैं भी घर पहुंचा, घर पहुंचते ही मैने सोचा उसे कॉल करूं लेकिन मैंने नही किया, फिर मैं रात में खाना खाने के बाद सोने चला गया और काफी देर के बाद मैने रितिका को फोन किया,
रितिका मेरा आवाज तुरंत पहचान गई और बोली, मुझे तो लग रहा था आज मैं तेरे कॉल का इंतजार करते करते सो ही जाती, फिर हम दोनो हसने लगे, उस रात हमलेगो ने बोहोत देर बात किया, और हम दोनों बात करते करते सो गए,
अगले दिन मैं कॉलेज लेट से पहुंचा, मैने आज नाश्ता भी नही किया था, शायद रितिका पहले ही आ गई थी, और मैं लेट होने के वजह से जल्दी अपने क्लास में चला गया, लंच का समय हो गया था मैं बाइक पे रितिका का वेट कर रहा था, कुछ देर में रितिका आई और बोली तुम बाइक पर क्या कर रहे हो, बाइक को पार्किंग में लगाओ और मेरे साथ चलो, मैने तुरंत बाइक को खड़ा किया किया और हम दोनो एक कॉलेज के एक पेड़ के नीचे दोनो जाकर बैठ गए,
आज रितिका अपने साथ घर से खाना बना कर लाई थी, और मुझे बोहोत जोर से भूख लगी थी फिर रितिका ने मुझे अपने हाथों से खाना खिलाने लगी और मैं बिना कुछ कहे खाना खाने लगा, रितिका बस मुझे ही खिलाए जा रही थी, फिर मैने भी उसे अपने हाथों से उसे खाना खिलाया, और बोहोत सारी बातें की,
अब हमलोग हर दिन पूरी रात फोन पर बात करते और कॉलेज में साथ लंच करते, काफी दिन हो गए थे, मुझे उससे प्यार हो गया था लेकिन मैं उसे बोल नही पा रहा था, मुझे डर लगता लगता था की कही वो मुझे मन न कर दे,
एक दिन मैं कॉलेज से घर जा रहा था और बारिश होने लगी , पता नही कैसे बारिश में बाइक से मैं गिर गया और मुझे कुछ चोट भी आई और मेरा फोन भी टूट गया, मैं दो दिन तक कॉलेज नही गया था और न ही रितिका को कॉल कर पाया था, मुझे उसकी बोहोत फिक्र हो रही थी,मैं अभी तक पूरी तरह ठीक नही हुवा था,
मैं किसी तरह अगले दिन कॉलेज पहुंचा और रितिका का इंतजार करने लगा, कुछ देर में रितिका आई और मुझे इस हालत में देख कर परेशान हो गई पूछने लगी ये सब कैसे हुवा और वो रोने लगी, उसे रोते देख मुझे बोहोत बुरा लग रहा था, मैं उसे चुप कराने लगा, फिर रितिका ने मुझे जोर से गले लगा ली, मैं अचानक से सहम सा गया था, मुझे रितिका के अलावा और कोई नही दिखाई दे रहा था,
रितिका लगातार रोए जा रही थी, मैने भी उसे जोर से गले लगाया और बोहोत हिम्मत करने के बाद मैने रितिका को i love you बोल दिया, रितिका ये सुनकर और जोर से रोने लगी, मैं डर गया और बार बार उसे पूछने लगा, क्या हूवा तुम्हे, रितिका ने मुझे और जोर से पकड़ लिया और काफी देर तक ऐसे ही रही,
काफी देर के बाद मैने रितिका को किसी तरह चुप कराया और उस दिन हमलोग क्लास नही गए और एक पेड़ के पास जाकर बैठ गए, मैने रितिका का हांथ पकड़ा और बोला, मैं बोहोत प्यार करता हु तुमसे क्या तुम मेरी लाइफ पार्टनर बनोगी, रितिका ने मेरे प्यार को एक्सेप्ट कर लिया,
मैं बोहोत खुश था, की रितिका मेरी लाइफ पार्टनर बन गई थी, रितिका मेरे लिए हर दिन घर से लंच लेकर आती है, हम दोनो के बीच लड़ाई भी बोहोत होती है लेकिन हमलोग उसे आपस में सॉल्व कर लेते है, और हम दोनो साथ में बोहोत खुश है,
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मेरे हिस्से नही आया प्रेम कभी,
अब तुम आए तो चौक उठा हूं!