कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 26 नवंबर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट पर होगी.
Kartik Purnima 2023
और समापन 27 नवंबर को दिन में 2 बजकर 45 मिनट पर होगा.
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कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि
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ऐसी मान्यता है कि इस दिन दीपदान करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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इस दिन भगवान शिव की कृपा से त्रिपुरासुर का अंत हुआ था तथा देवताओं को स्वर्ग की वापसी हुई थी। इस कारण से इस दिन दीपदान करने से देवी देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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इस दिन पवित्र सरोवर में, नदी में स्नान करना चाहिए तथा दान पुण्य करते हुए दीपदान किया जाना चाहिए।
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इस दिन प्रात काल में सूर्योदय पूर्व जागकर पवित्र सरोवर में या गंगाजल से मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए।
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घर में साफ सफाई के साथ ही गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
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मंदिर के साफ सफाई करनी चाहिए स्नान आदि से निवृत्त होकर के पूजा स्थल पर बैठकर सभी देवी देवताओं का स्मरण करना चाहिए ।
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उसके बाद विधिवत स्नान आदि कराते हुए सभी देवताओं का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।
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दिनभर भगवान शिव तथा नारायण के नाम का स्मरण करते हुए सायं काल प्रदोष काल में दीपदान करना चाहिए ।
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देवालयों में दीप प्रज्वलित करना चाहिए तथा भगवान शिव के किसी मंत्र का जप करते करना
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चाहिए। कार्तिक माह में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना विशेष रूप से फल लायक माना जाता है। इस कारण से भगवान विष्णु की भी पूजा अर्चना किया जाना श्रेष्ठ फल प्रदायक होता है।