तेरे अधूरे सपने। Tere Adhure Sapne। School Love Story

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 मेरे सपने आधुरे रह गए। Love Story in Hindi School Love Story

मेरा नाम आदित्य है आज मैं एक सच्ची लव स्टोरी आपके साथ शेयर कर रहा हूँ! school love story इंटर कॉलेज खालिसपुर में 11th में ऐडमिशन लिए मुझे एक हफ्ते हो चुके थे! एक दिन मैं कॉलेज जल्दी पहुंच गया था तो यूं ही बालकोनी में नजर टिकाए इधर उधर देख रहा था! मैं बस से उतरते छोटे सभी बच्चों को देखने लगा, मेरे क्लास के कुछ लड़के भी उसी बस से आते थे! सभी बच्चे उतर चुके थे फिर भी मैं बस के गेट पर ही अपनी निगाहें टिकाए था, फिर जो हुआ उसे…. बयां नहीं किया जा सकता, एक खूबसूरत लड़की पता नहीं कौन स्कूल ड्रेस (नीली ड्रेस) पहने उतरी..

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मैं थोड़ा सावधान हुआ उसे देखने के लिए बालकोनी के और पास गया! बस गेट से काफी दूर रुकती थी! वो बस से उतर कर गेट की ओर आ रही थी, मानो जैसे बदल छा गई थी और ठंडी हवाएं चल रही थी और मैं उस हवा में उड़ रहा था! पहली नजर में ही उसे देखने के बाद मन में फिल्मी कल्पनाएं करने लगा! जैसे हिरोइन आती है और उसके हर कदम हवाओं के झरोखे लाते और हीरो आंखें बंद किए उसे महसूस करता है!

लगभग ऐसी ही स्थिति थी, वह स्कूल में प्रवेश कर चुकी थी!मैं जल्दी से नीचे भागा यह देखने के लिए कि आखिर वह किस क्लास में जाती है! मेरी नीचे पहुंचते ही वह ऑफिस में प्रवेश कर गई प्रार्थना की घंटी बजी! आज मेरा दिमाग कहीं और ही था! दोस्तों ने कहा था जो लड़की दूर से अच्छी दिखती है वह पास से होती नहीं है बे..

मैंने सोचा उसे प्रार्थना के बाद उसे नजदीक से देखूंगा लेकिन अभी यह निश्चित नहीं था कि वह किस क्लास में बैठती है! प्रार्थना खत्म होने के बाद साबलोग अपने क्लास में आ गए, क्लास में तीन पंक्तियों में बेंच लगे थे फिर भी मैं लास्ट बेंच का स्टूडेंट था, क्लास में सभी लड़कियां आने लगी और फिर मैं मानो खुशी से पागल हो गया, आंखें फैल गई जब मैं उसे क्लास में आते देखा!

उसके लंबे घने और खुले बाल, उसकी खूबसूरत आंखें वाकई खूबसूरत लग रही थी! वो सबसे पहली बेंच की पहली लाइन पर बैठी, मैं तीसरी लाइन की आखिरी बेंच पे बैठा था, मैं उस लड़की को नजदीक से देखने के लिए बोतल लेकर आगे गया, वह सर झुकाए बैग में हाथ डाले शायद कुछ निकाल रही थी!

वह वाकई खूबसूरती..थी बहुत…. खूबसूरत, उसे एक नजर देखने के बाद बोतल में पानी भरने के लिए नीचे चला गया! Class से बाहर निकलते ही दांत पीसकर yes-yes बोले जा रहा था! मुझे ऐसा महसूस होने लगा था मानो मुझे कोई सपनों की रानी मिली गई हो! पानी भरकर मैं क्लास रूम में आया! तबतक क्लास टीचर आ गए थे!

उसका नाम पता चलने ही वाला था फिर भी मैं उसका नाम गैस किए जा रहा था…., पूजा?, हम्म! नहीं, रानी? हो सकता है! या फिर सजनी….इतना फर्जी नाम हा हा! इन्हीं कल्पना में खोया था तब तक अटेंडेंस हो गया!

गरिमा…… प्रजेंट.. सर….., गरिमा.. हाँ यही नाम था कितनी मीठी आवाज थी उसकी! हसीन लम्हें दिमाग में गरिमा नाम को लेकर तोड़ने फोड़ने लगा, गरिमा छुं ..ऐसा ही कुछ, आज दिमाग पता नहीं क्यों बचपना हरकत कर रहा था! हालांकि क्लास में बहुत सारे स्मार्ट लड़के थे और मैं तो थोड़ा भी नहीं था! मुझे यह भी पता था की आधी क्लास उसी के पीछे पड़ने वाला है फिर भी मैं आत्मविश्वास बनाए रखा था!

दिमाग बोले जा रहा था… तुम मेरी हो…. गरिमा! धीरे-धीरे दिन बीतते गए क्लास रूम में मेरी उसके हर हरकत पर मेरी नजर रहती थी! और हर एक लड़के पर भी कि कौन उसे देख रहा है, अब तक उसका नेचर जान चुका था, बिल्कुल रंगीन, शालीन दुनिया से हटकर थी सकारात्मक विचारों वाली, न मोबाइल का शौक न internet की!

इस खयाल में मेरा दिमाग खोया-खोया सा रहने लगा था हालांकि मैं थोड़ा शायर मिजाज का था…. उसकी हरकत पर कभी कभी शायरी भी बोल दिया करता था और दोस्त भी वाह-वाह रपेट देते थे! कुमार सानू और मोहम्मद रफी के गाने सुनने और गुनगुनाने की आदत सी हो गई थी!

लेकिन अभी तक मैं अपनी दिल की बात उससे न कह पाया था! 11th की वार्षिक परीक्षा खत्म हो गई जिसमें मेरा 15 वाँँ और मेरे दोस्त का 17 वाँँ स्थान आया था! जिससे मेरा स्टेटस बढ़ चुका था और क्लास रूम में सभी लोग थोड़ा इज्जत से देखते है! टीचर ने हम दोनों के लिए क्लास में ताली बजवाई, मेरी नजरें बस उसी को देखी जा रही थी! अब लोग मेरी ओर देखकर ताली बजा रहे थे इसी बीच मेरी नजरें गरिमा से लड़ जाती और मेरा दिल जोर से धड़क उठता था!

“अब शायद वह भी मुझे नोटिस करने लगी थी मै उसे Propose करना चाहता था! मैंने यह बात अपनी एक छिछोरे दोस्त से कहा उसने कहा चल चलते हैं, इंटरवेल हो चुका था वो क्लास रूम में अकेले ही बैठी थी यह अच्छा मौका था! तभी एक दोस्त ने एक लड़की से कुछ कहा.. शायद कोई गलत कमेंट बाजी कर रहा था वह लड़की खरी-खोटी सुनाकर चली गई!

मैंने उससे पूछा तेरी gf थी वो?? उसका जवाब था नहीं यह सब करते गरिमा ने हमें देख लिया था! मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, वो हमें देखकर गर्दन नीचे किए सिर हिलाया जा रही थी! शायद वो मेरी कैरेक्टर को गलत समझ चुकी थी बचपन का दोस्त था छिछोरा दोस्त जिसे कुछ बोल भी नहीं सकता था! फिर भी मैंने अपने दोस्त को फिर से ऐसा ना करने के लिए वार्निंग दे दी, शायद उसे भी दुख था!

एक दिन अपने छिछोरे दोस्त से कहा यार उसके बारे में कुछ पता करके बता ना, अगले दिन उसके पास बस एक इंफॉर्मेशन थी लेकिन जो भी थी बहुत बड़ी थी! उसे इंप्रेस करने का उससे अच्छा कोई तरीका नहीं था! मेरे दोस्त के मुताबिक उसे लिखना बहुत पसंद था और स्कूल की वार्षिक परीक्षा में कविता देने वाली थी! मैं आज बहुत खुश था क्योंकि उस समय भी चंद कविताएं मैं भी कर लेता था!

मैंने भी एक अच्छी क्वालिटी वाली कविता और अच्छी खासी फोटो के साथ पत्रिका के लिए दे दिया! महीने भर बाद पत्रिका सबके हांथ में थी, पत्रिका के मेरे हाथों में आते ही जल्दी-जल्दी उसकी कविता का पन्ना खोजा! ऊपर उसकी हल्की धुंधली सी तस्वीर उसके नीचे गरिमा नाम क्लास 12th B2 बारिश पर लिखी गई एक कविता… थी थोड़ी बच्चे वाली टाइप की थी…! पर बार-बार उसकी कविता को पड़ता हर बार क्लास में अच्छे कविताएं और लेखों की तारीफ हो रही थी! मैंने भी थोड़ी अच्छी लिखी थी तो मेरी भी!

गरिमा वही किताब खोली… बैठी थी मैं उसकी तरफ देख.. रहा था! तभी उसने मेरी तरफ देखा मुझे यह समझने में देरी नहीं लगी कि वह मेरी ही कविता पढ़…. रही है मैं भी उसी की लिखी कविता खोल… बैठा था! वह कुछ सेकेंड तक मुझे देखती रही और मैं भी उसे, वह मुस्कुराए और मैं भी मुस्कुराया! आज दिल बाग बाग हो गया था, और फिर लंच हुआ! पुरे क्लास में, मैं और मेरा छिछोरा दोस्त और कुछ लड़कियां भी थी!

आगे बेंच पर बैठे पत्रिका पढ़ रहे थे और यह कविताएं जिसने दी थी उसे पहचाना जा रहा था! अरे यह तो अखिल है न बे 12B1… का पक्का चोरी करके दी होगी … अबे यह कमी ना संजीव कब से लेख लिखने लगा वह भी गरीब पर..! अमीर बाप की बिगड़ी औलाद सबको निशाने पर लिए जा रहे थे, तभी गरिमा क्लास में आई हम चुप हो गए! बेंच पर बैठते ही गरिमा ने कहा अच्छा लिखते हो आदित्य बहुत अच्छा, मैंने उसे thanks बोला, मेरे दिल के तार बजने लगे..

तभी एक लड़की ने कहा आदित्य तुम शायरी भी बहुत अच्छा लिखते हो न,

ऐसा क्या!

लड़की– अरे पता नहीं क्या तुमको तुम्हारे ऊपर ज्यादा करता है!

यह सुनके गरिमा चुप हो गई… मेरा मुंह शर्म से लाल हो गया! शायद गरिमा को कुछ कुछ समझ में आने लगा था लेकिन वह अभी भी चुप थी!  मैंने परिस्थिति को संभालते हुए कहा अरे गरिमा वो बहुत झूठ बोलती है… उसकी बातों पर ध्यान मत दो! वैसे तुम्हारी कविता भी लाजवाब है उसने मुझे थैंक यू बोलते हुए कहा तुम्हारी कविता बहुत अच्छी थी!

मैंने कहा– अच्छा सही में….? मुझे तो नहीं लगता उसने भी मेरी बात दोहरा दी अच्छा मुझे भी नहीं लगता!

हम दोनों कुछ देर चुप रहने के बाद खिल-खिलाते हुए हंसने लगी मेरी हंसी तो वैसे ही सियार जैसी थी! लेकिन उसकी हंसी तो इतनी सुरेली और दिल में घंटी बजाने वाली थी कि बिन बादल बरसात ओर बिन घटा मोर नाचने लगे!  यूं ही हम लगभग 10 मिनट तक बात करते रहे! जब स्कूल की छुट्टी हुई तो मैं बस के पास साइकिल निकाल कर खड़ा था उसे देखने के लिए!

वो आई और बस में चढ़ी और चली गई आज मेरा दिल उछल-उछल के धड़क रहा था! तेज हवा बर्फीली ठंड का एहसास दिला रही थी! आज पता नहीं कौन सी आंतरिक शक्ति साइकिल चला रही थी… क्या चढ़ाव, क्या ढलान कुछ नहीं सूझ रहा था! उसी का चेहरा आंखों में समाया हुआ था रास्ते में कौन आ रहा है कौन जा रहा है कोई होस नहीं! घर पहुंचा हाथ मुंह धोकर खाना खाया और लव सॉन्ग की लिस्ट प्ले बना के सुनता रहा!

उसी स्कूल में अब रोज बात होती उसे कभी-कभी अपनी कविता सुनता तो कभी शायरी और कभी वो भी! अपनी बोर्ड एग्जाम होने में एक महीने ही बच गए थे स्कूल भी बंद होने वाला था! शायद हम दोनों की मुलाकात पुरे एक महीने बाद होने वाली थी! घर जाते वक्त हम दोनों मिले और आने वाली एग्जाम के लिए बेस्ट ऑफ लक कहा उसने भी मुझे ये भी कहा कि अपना दिमाग सिर्फ पढ़ाई पर लगाना!

कुछ दिन कविता शायरी बंद कर दो वह मुस्काई बाय बोला और बस में बैठ गई … मैं बगल में खड़ा था और वो खिड़की से मुझे देख रही थी शायद उसे ये एहसास हो चुका था कि मैं उससे प्यार करता हूं! आज मैं बहुत उदास था और शायद वह भी, वो चली गई और मैं एकटक निगाहों से देखता रहा.. मेरी आंखों में आंसू… थे और तभी मेरा छिछोरे दोस्त आया और ढांढस बांधने लगा!

फिर मैं यह सोच कर खुश हो गया कि एग्जाम होने के 1 दिन बाद तो सबको स्कूल आना ही है.. स्कूल के उस दिन हमें अच्छी रिजल्ट की शुभकामनाएं और और अच्छे भविष्य के लिए हिदायत देने के लिए बुलाया गया था! किताबों और उसकी यादों की कशमकश की यादों में एग्जाम खत्म हो गई सभी पेपर अच्छे गये थे, मैं बहुत खुश था! हफ्ते भर के बाद स्कूल जाना था, और मैं बेचैन था, जैसे मेरी नींद गायब थी और भूख भी कम लगती थी!

दिमाग कल्पनाओं के समंदर में गोते खा रहा था…गरिमा आएगी उस दिन क्या वह सारी में होगी या किसी और लिबास में..! school के वो वक्त आखिर वह दिन आ ही गया रात को जैसे-तैसे 2:00 बजे सोया था और रात को 4:00 बजे ही उठ गया ! 7:00 का टाइम था जल्दी नहा धोके हल्का फुल्का नाश्ता किया! आज जींस और चेक शर्ट में स्कूल जाने वाला था!

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कायदे से Deo लगा के आज अपनी बाइक CD delux उठाई और सुबह 6:00 बजे निकल गया! क्योंकि आज सारे दोस्तों से विदा होने वाला था वैसे भी मन भावुक था! 10 मिनट में स्कूल पहुंच गया और छिछोरा वहीं खड़ा था, बाइक से उतर कर उससे गले मिला और एग्जाम के बारे में कुछ बातचीत किए! उसने कहा क्या बात है आज बड़ा सज धज के निकला है क्या बात है?

मैंने उससे कहा चुप कर कुछ भी बोलता है बहुत से दोस्तों से मुलाकात हो गई और बस आने का टाइम हो गया था! दिल की धड़कन बढ़ रही थी कभी-कभी स्कूल की स्टोरी सोच कर घबरा रहा था कि वह आएगी भी या नहीं… फिर उसे कहने लगता कि नहीं ऐसा नहीं होगा..! वो जरूर आएगी, मैं बालकोनी में चला गया ताकि मैं उसे पुराने अंदाज में देख सकूं जैसा मैने उसे पहली बार देखा था! मैं बिल्कुल उसी जगह खड़ा था अभी मैं इस कन्फ्यूजन में था की वो क्या पहन के आएगी बाकी लड़कियां खूब सज धज के आई हुई थी!

तब तक कुछ दूर पर बस दिखी हां वो पांच नंबर है ये देखने के बाद खुशी का ठिकाना नहीं रहा, बस रुकी सारे 12th के स्टूडेंट थे! मैं लगातार देखे जा रहा था कि वह कब निकलती है… वह निकली वही स्कूल की ड्रेस पहन के, आंखों में वही चमक, वही दमकता चेहरा, वही शालीनता.. भला उसे किस सज धज की जरूरत थी!

ऐसा लग रहा था मानो पहले की घटना दोहरा रही है वही हवा के झरोकों को महसूस कर रहा था! उसकी नजरें ऊपर उठी मैंने उसको देखा और उसने मुझे मैंने ऊपर से ही बोला.. हाय गरिमा कैसी हो? उसने कहा पहले नीचे तो आओ वह बहुत खुश दिख रही थी! मैं दौड़ा नीचे आया बिल्कुल उसके सामने आ गया, जी कर रहा था उसे बाहों में भर के गले लगा लूं, दिल जोरों से धड़क रहा था उसने पूछा एग्जाम कैसा गया..

मैंने कहा एकदम खराब उसने कंधे पर हाथ रखकर कहा चल झूठे तुम्हारा और खराब, गरिमा ने कहा- बड़े स्मार्ट लग रहे हो? तुम भी खूबसूरत लग रही हो, हमेशा की तरह,  हम एक साथ हंस पड़े! स्कूल का कार्यक्रम खत्म होने के बाद कहा गया कि एक घंटे बाद स्कूल छुट्टी कर दिया जाएगा! आज शायद आखिरी दिन था पता नहीं इसके बाद कब मुलाकात होगी! यही सोच कर आज हमने आमने सामने बैठे आज सोच लिया था कि आज मैं अपनी दिल की बात उसे बता के रहूंगा!

लेकिन समय बीत रहा था मैं बोल नहीं पा रहा था उसकी भी हालत मेरी ही जैसी थी शायद वह भी मुझसे यही कहना चाहती थी! शायद मैं उससे स्कूल में बीते हुए पुरानी यादों को याद कर रहा था आंखों से आंखें मिली हुई थी! हम एक दूसरे की बातें पता थी लेकिन बस उसे ये बातें कहनी थी लेकिन जो अब बहुत कठिन प्रतीत हो रहा था! बातें करते-करते आंखें भर आई थी, तभी अनाउंस किया गया कि जिसे बस से जाना है जल्दी बस में बैठ जाएं!

यह सुनते ही लगा जैसे मेरा दिल बाहर निकल जाएगा मैं कांप रहा था ऐसा लग रहा था दिल की बात दिल में ही रह जाएगी! मैंने कहा जाने दो ना बस को मैं तुम्हें बाइक में छोड़ दूंगा घर तक! उसने कहा मुझे कोई दिक्कत नहीं कोई और देख लेगा तो क्या सोचेगा, पता नहीं मैं क्यों उससे बात नहीं कर पाया! बस में बैठने के लिए फिर एक बार एनाउंस किया गया अब चलना होगा ये सोच के वो चले गई! उसकी आंख नम थी…मैं मन ही मन रो रहा था मैं सोच रहा था कि अभी मैं उसकी आँखों को अपनी हांथों से पोछ दूँ और बाहों में भर लूँ..

वो जाने लगी थी और जैसे मैं हरासमेंट का शिकार होने लगा, धड़कन रुक सी गई थी! वह स्कूल के गेट पर पहुंच चुकी थी मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था मैंने आवाज लगाई… गरिमा रुको जरा! ये सुनते ही गरिमा ने अपने पांव वापस खींच लिये, मैं जल्दी से लड़खड़ाते हुए उसके पास पहुंचा, अब मैंने निश्चय कर लिया था! इस बार बोल कर रहूंगा वह गेट के पास खड़ी थी मैं उसके पास गया… करीब बिल्कुल करीब गया मैं पूरा शरीर कांप रहा था!

मैं एक झटके में कह दिया हूं! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं मेरी नजरे झुकी हुई थी!मुझे उसकी जवाब का इंतजार था आखिरकार उसका जवाब आया…..मैं भी! हम दोनों शांत थे हमने नजर से नजर नजर मिलाई… और कहां पूरा बोलो ना उसने कहा मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं!

यह सुनते ही ऐसा प्रतीत हुआ मानो मैं हवा में उड़ रहा हूँ, लग रहा था बहुत बड़ा बोझ हट गया है दिल से! जी कर रहा था कल से गले लगा लूं लेकिन कुछ लड़के आ रहे थे इसलिए ऐसा ना कर सका हम दोनों बहुत खुश थे! और वो बस में बैठने के लिए जाने लगी । आंखों के आंसू पोचतें हुवे… क्या यह मिलन था… दो दिलों का?? यह कैसा मिलन था, जब एक दूसरे से मिलने की संभावनाएं धुंधली हों.. लेकिन हम संतुष्ट थे वह बस में बैठी खिड़की से निहार रही थी!

मैं चुपचाप खड़ा देख रहा था बस स्टार्ट होते ही मेरे आंख से आंसू आ गए…! बस चल पड़ी अब सब शांत…था कुछ देर यूं ही बाइक में बैठा रहा.. छिछोरा आया… मैं बिना कुछ कहे गले लगा लिया वह समझ गया कहानी बन गई लौंडे की! उसने कहा पार्टी कब दे रहा है बे…? मैंने कहा ले लेना बे… उसने कहा फोन नंबर लिया या एड्रेस ये सुनते ही मैं सुन्न रह गया! उसे जाते वक्त तो जैसे मैं उसे देखता ही रहा ये सब चीजों पर ध्यान ही कहां गया…!

शायद वो अपना रिजल्ट जरूर लेने आएगी, मेरे छिछोरे दोस्त ने कहा बेवकूफ आशिक उस दिन जरूर मांग लेना! रिजल्ट मिलने की एक दिन पहले कशमकश जारी थी… कि क्या वह रिजल्ट लेने आएगी? रिजल्ट लेने देर से पहुँचा छिछोरे बोला मैं भी अभी आ रहा हूं गरिमा कहीं नहीं दिख रही थी! रिजल्ट देते हुए शाबाशी देते हुए कहा बहुत अच्छा नंबर है तुम अच्छे से पढ़ना, रिजल्ट लेने के बाद साइन करने लगा अपने रजिस्टर में तो देखा कि गरिमा के कॉलम के आगे टिक लगा है और किसी का सिग्नेचर लगा है..?

एक समय के लिए लगा जैसे दिल धड़कने बंद हो गया है सर से पूछा गरिमा आई थी, उसने कहा नहीं- उसके नानाजी आये थे! नानाजी? सर ने कहा वहा नाना जी के घर में रहती थी! उसका घर दिल्ली में है अब घर चली गई, मैं रिजल्ट लेकर बाहर आ गया उसकी एक सहेली से पूछा… उसके पास कोई फोन नहीं था और इसलिए उसका नंबर या एड्रेस किसी के पास नहीं है! सिद्धत भरी मोहब्बत धूमिल होती दिख रही थी!

अब सब सामान्य था या असामान्य मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था! उससे दोबारा मिलने की सारी तमन्ना मानो जैसे खत्म हो रही थी! बेचैनी ने मुझे घेर लिया था ऐसा लग रहा था जैसे ऑक्सीजन की कमी हो रही है! सही से सांस नहीं ले पा रहा था सब कुछ बर्बाद प्रतीत हो रहा था! छिछोरा आया मेरे कंधे पर हाथ ठोक के बिना कुछ कहे चुपचाप वह घर चला गया मैं भी घर चला गया! दिमाग में तरह-तरह के प्रश्न उठा रहे थे…? कहीं गरिमा का प्यार गलत तो नहीं था या झूठा तो नहीं था! लेकिन दिल इस बात की कोई गवाही नहीं दे रहा था!

वह खुशी झूठी नहीं थी…..

वह हंसी छुट्टी नहीं थी….

वह आंसू झूठे नहीं थे….

फिर वो प्यार का इकरार कैसे झूठा हो सकता है!

आज इस घटना को 3 साल हो चुके हैं तब से फिर मुलाकात ना हुई… कभी-कभी सपनों में दिख जाती है! आज भी कभी कभी गरिमा नाम से फेसबुक में रिक्वेस्ट आती है तो दिल झन्ना उठता है! पागलों की तरह उसकी फेसबुक प्रोफाइल चेक करता हूं…. लेकिन मेरी गरिमा नहीं होती है…?

सिर्फ और सिर्फ यादों को जीवन रखने के लिए… उसी बालकोनी में खड़ा होकर इधर उधर कुछ देर देखता हूं! उसकी निशानी के नाम पर वही एक पत्रिका है जिसमे छपे एक धुंधली तस्वीर और कविता है! उसकी धुंधली तस्वीर देख कर डर जाता हूं कहीं यादों में भी उसकी तस्वीर धुंधली ना हो जाए…. बड़ी शिद्दत से मोहब्बत की थी जिससे दिन आज भी कहता है कि वह आएगी एक दिन जरूर….!

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MR KRISHNA

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