Pyar | Sweet First Love Story in Hindi

ये love story आशीष नाम के एक लड़के की है जो अपने घर जाने के लिएमुम्बई रेलवे स्टेशन पे अपनी ट्रेन आने का इंतजार कर रहा था। तो चलिए हम जानते है कि आशीष की प्रेम कहानी की शुरुआत कैसे हुई।

Pyar | Sweet First Love Story in Hindi

पहली बार में दिल खो बैठा : A Short Romantic love Story

ये कहानी शुरू होती है आशीष से वह अपनी बहन की शादी में जाने के लिए मुम्बई रेलवे प्लेटफॉर्म पर अपनी ट्रैन आने का इंतीजार कर रहा था कि तभी एक सुन्दर लड़की उसके पास आकर पूछती है क्या आपको पता है ये मुम्बई से हावड़ा जाने वाली ट्रेन कितने बजे आएगी?

आशीष:-  8 pm में आएगी

वो लड़की फिर वही रेलवे प्लेटफॉर्म में बने बेंच पर ही बैठ जाती है और अपने ट्रेन के आने का इंतजार करने लगती है। कुछ देर इन्तेजार करने के बाद रात के 8 बज जाते है लेकिन ट्रैन नहीं आती है। आशीष काउंटर पे जाके पूछता है की ट्रैन अभी तक क्यों नहीं आयी, तो रेलवे काउंटर वाले आशीष को बताते है की अत्यधिक कोहरा होने के कारण ट्रैन को आने में काफी पारेसनी हो रही है लेकिन ट्रेन कुछ देर में पहुंचेगी। 

अब आशीष उस लड़की के पास जाता है और उसे बताता है की घना कोहरा होने के कारण ट्रैन कुछ देर बाद आएगी, वैसे आप बता सकते है आपको जाना कहा है लड़की:- मुझे बर्दवान जाना है।

आशीष:- मैं भी कोलकत्ता जा रहा अपनी बहन की शादी में।

दोनों कोई ट्रैन आने का इंतजार करने लगे। ठण्ड अधिक थी क्योकि महिना दिसम्बर का था। आशीष ने देखा की लड़की खुद को ठण्ड की वजह से खुद को सिकोड़ रही होती है। आशीष दो चाय लेकर उसके पास जाता और कहता है, ठण्ड थोड़ी ज्यादा है क्या आप चाय पीना पसंद करोग, Anokha pyar bhari kahani

लड़की:- Thank you!

अब दोनों कोई चाय पीने लगते है

आशीष:- मेरा नाम आशीष है, वैसे आपका नाम क्या है?

लड़की:- मेरा नाम भव्या है। 

अब रात के 11 बज गए लेकिन ट्रैन नहीं आयी। आशीष ने भव्या से कहा कि चलो हम वेटिंग हॉल में जाकर बैठते है यहा पे ठण्ड भी बहुत लग रही है। दोनों कोई हॉल में जाकर बैठ जाते है।  

थोड़ी देर बाद भव्या सो जाती है। अब आशीष के आँखे भव्या को ही देख रही होती है। भव्या कि गुलाब की पंखुड़ियों जैसी होठो और उसका मासूम से चेहरे को देखकर आशीष के दिल में कुछ होने लगा। आशीष ने खुदको संभाला और भव्या की तरफ से अपनी नजरे हटा ली। 

रात के 2 बजे ट्रैन प्लेटफार्म पे आती है। आशीष तुरंत जाकर भव्या को उठाता है और फिर दोनों कोई ट्रैन में जाकर बैठ जाते हैं। भव्या, आशीष से पूछती है आप मुम्बई में क्या करते हो?

आशीष:- मैं एक कंपनी में सेल्स मैन की जॉब करता हु और आप क्या करते हो?

भव्या:- मैं अभी मुम्बई से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही हु। दोनों एक-दूसरे से बाते करने लगे और बातो ही बातों
में भव्या ने आशीष से पूछा कि क्या आपकी शादी हो गई है
?

आशीष मुस्कुराते हुए कहता है नही अभी तक तो नही हुई।

भव्या:- आपकी कोई गर्लफ्रैंड?

आशीष:- नही मेरी कोई गर्लफ्रैंड भी नही है, वैसी कोई लड़की मुझे मिली ही नही।

भव्या:- कैसी लड़की चाहिए आपको जरा हमे भी बताइये।

आशीष:- बिलकुल आपकी जैसी।

भव्या:- मेरी जैसी ही क्यों?

आशीष:- आप बहुत ही प्यारी और मासूम हो, और आपकी ये प्यारी-प्यारी बाते मुझे अच्छी लगती है।

भव्या:- अच्छा जी ये बात है तो चलिए अब हम आपके लिए कोई मासूम ही लड़की ढूढ़ती हु। आप अपना फ़ोन नंबर हमे दे दो ताकि लड़की मिलने के बाद कांटेक्ट हो सके।

आशीष:- तुरंत अपना फ़ोन नंबर भव्या को देता है।

थोड़ी देर बाद भव्या सो जाती है लेकिन आशीष को नींद ही नही आती है। वह सिर्फ भव्या को ही देखता रहता है ऐसा लगता है मानो आशीष के दिल में भव्या के लिए प्यार का फूल खिल रहा हो। आशीष उस पल अपनी आंखों कैद कर रहा था। वह सोच रहा था कि क्या पता फिर कभी भव्या से मुलाकात होगी या नही। Pyar a unique love story 

अब सुबह हो गई थी ट्रैन बर्दवान पहुँचने वाली थी। भव्या, आशीष से कहती है मेरी मंजिल आ गई अब मैं चलती हु। आशीष को थोड़ा उदास हो जाता है उसे ऐसा लगता है कि कोई अपना उसे छोड़कर जा रहा है। ट्रैन बर्दवान स्टेशन पे रुकती है और भव्या मुस्कुराते हुए आशीष को अलविदा कहती है। आशीष ट्रैन की खिड़की से भव्या की तरफ देखता है। भव्या भी आशीष को आखिरी बार पीछे मुड़कर देखती है उसके दिल में भी आशीष के लिए कुछ फीलिंग्स थी।

ट्रैन अब स्टेशन से चल पड़ती है लेकिन आशीष अभी भी भव्या को ही याद कर रहा था। कुछ समय बाद आशीष के फ़ोन पे एक मैसेज आता है जिसमे लिखा था तुम्हारे लिए एक अछि सी लड़की मिल गई उसका नाम भव्या है और ये उसका मोबाइल नंबर है

आशीष ने तुरंत उस नंबर पे कॉल किया और भव्या ने कॉल रिसीव किया। 

भव्या:- तो लड़की कैसी लगी आपको?

आशीष:- बहुत अच्छी लगी 

भव्या:- तो शादी करना चाहोगे 

आशीष:- जी बिलकुल करना चाहुगा 

भव्या:- तो आ जाइये बर्दवान 

अब मानो आशीष के ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसे उसकी सपनो की रानी जो मिल गई थी। आशीष घर पहुंचने तक भव्या से ही बाते करता रहा।

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