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PM मोदी का ‘पाक बेनकाब मिशन’: थरूर और ओवैसी की चौंकाने वाली एंट्री, जानिए पूरी रणनीति

Operation Sindoor India

नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति का एक अहम पहलू है – अप्रत्याशित फैसले लेना। इस बार भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया है, जो न सिर्फ विपक्ष को हैरान कर गया, बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन गया। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करने के लिए जो रणनीति तैयार की गई है, उसमें कांग्रेस नेता शशि थरूर और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को शामिल किया गया है। ये वही नेता हैं जो अक्सर मोदी सरकार के कटु आलोचक रहे हैं, लेकिन इस बार मिशन ‘पाक बेनकाब’ में ये दोनों चेहरे अहम किरदार निभाने जा रहे हैं।


🛑 क्या है मिशन ‘पाक बेनकाब’?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने पाकिस्तान में छिपे आतंकवादी नेटवर्क की कमर तोड़ दी है। अब अगला कदम है – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की पोल खोलना। इसके लिए भारत ने एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल गठित किया है, जो दुनिया भर के देशों में जाकर पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को उजागर करेगा।


🔥 शशि थरूर को क्यों चुना गया?

शशि थरूर को यूं ही इस मिशन का हिस्सा नहीं बनाया गया है। उनके पास अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष मजबूती से रखने का जबरदस्त अनुभव है:


💥 ओवैसी की चौंकाने वाली एंट्री क्यों?

असदुद्दीन ओवैसी की छवि भले ही मुस्लिम नेता की हो, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद उनकी देशभक्ति की मजबूत छवि भी सामने आई है:


🧭 क्यों है यह मिशन खास?

यह कोई पहला मौका नहीं है जब विपक्ष और सत्ता एक साथ किसी अंतरराष्ट्रीय मिशन पर एकजुट हुए हों। 1994 में पीएम पीवी नरसिम्हा राव ने भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी को जिनेवा भेजा था। इस बार मोदी ने थरूर और ओवैसी को भेजकर दुनिया को दिखा दिया कि राष्ट्रहित के लिए राजनीतिक मतभेद भी दरकिनार किए जा सकते हैं


🔚 निष्कर्ष:

प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम न सिर्फ पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकेला करेगा, बल्कि देश की राजनीति में एक नई परंपरा की भी शुरुआत है – “राष्ट्र पहले, राजनीति बाद में।” थरूर और ओवैसी की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि जब बात देश की हो, तो विचारधाराएं भी साथ आ जाती हैं।

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