इजरायल ने ईरान पर क्यों किया हमला?
13 जून 2025 को इजरायल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” शुरू करते हुए ईरान के नतान्ज, खोंदाब और खोर्रमाबाद स्थित परमाणु संयंत्रों व सैन्य ठिकानों पर भीषण हवाई हमले किए। इस ऑपरेशन का मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करना था, जिसके बारे में इजरायल का दावा है कि ईरान 15 परमाणु बम बनाने के करीब था।
प्रमुख निशाने:
- ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या: फेरेडून अब्बासी और मोहम्मद महदी तहरांची जैसे वैज्ञानिक मारे गए।
- IRGC और सेना प्रमुखों की मौत: IRGC कमांडर हुसैन सलामी और सशस्त्र बल प्रमुख मोहम्मद बागेरी हमले में ढेर।
- 200+ लक्ष्य ध्वस्त: इजरायली वायुसेना ने 200 जंगी जहाजों और 330 मिसाइलों से ईरान के 8 शहरों (तेहरान, इस्फ़हान, तबरीज़) में हमले किए।
ईरान का जवाबी हमला: “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस”
ईरान ने इजरायल पर 200+ बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन दागे, जिनमें से कई तेल अवीव, हाइफा और बेन गुरियन एयरपोर्ट के पास गिरे। इस हमले में 8 इजरायलियों (महिलाओं और बच्चों सहित) की मौत हुई और दर्जनों घायल हुए।
14-15 जून के हालात:
- इजरायल ने तेहरान गैस डिपो, तेल रिफाइनरी और रक्षा मंत्रालय पर फिर हमला किया।
- ईरान ने यरुशलम और रामात गान पर मिसाइल दागे।
- वैश्विक तेल कीमतों में 7% उछाल (हॉर्मुज जलडमरूमध्य पर खतरे के कारण)।
अमेरिका और वैश्विक प्रतिक्रिया
- अमेरिका ने इजरायल को सैन्य सहायता दी, जिसमें ईरानी मिसाइलों को रोकना शामिल था।
- डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी: “ईरान को समझौता करना चाहिए, नहीं तो इजरायल का अगला हमला और भीषण होगा!”
- ईरान ने अमेरिकी ठिकानों को धमकी दी, जबकि यूएन और खाड़ी देशों ने युद्ध विराम की अपील की।
भविष्य के खतरे:
- परमाणु हथियारों की दौड़ – अगर ईरान अपना कार्यक्रम तेज करे।
- यमन के हूथियों ने इजरायल पर मिसाइल दागे – संघर्ष बढ़ने का खतरा।
- लेबनान-सीरिया में हिज़बुल्लाह की प्रतिक्रिया – क्षेत्रीय युद्ध का जोखिम।
निष्कर्ष:
इजरायल-ईरान संघर्ष विश्व युद्ध की ओर बढ़ता खतरा बन गया है। अगर तुरंत शांति प्रयास नहीं हुए, तो पूरा मध्य पूर्व युद्ध की आग में झुलस सकता है।