भाई साहब… मैं आज ही आमिर खान की नई फिल्म “सितारे ज़मीन पर” देखने गया था और सच में दिल छू गया। शुरू में लगा कि शायद कोई बच्चों वाली फिल्म होगी, लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ी, मेरी आंखें नम होती गईं और दिल भारी हो गया।
इस बार आमिर सर एक बास्केटबॉल कोच बने हैं, जिन्हें सजा के तौर पर “स्पेशल बच्चों” की टीम को ट्रेनिंग देनी पड़ती है। लेकिन यहीं से असली कहानी शुरू होती है। ये बच्चे, जिनके साथ दुनिया ‘सहानुभूति’ जताती है, वो अपने टैलेंट से कैसे सबका मुंह बंद कर देते हैं — वो देखना बहुत ही शानदार था।
मुझे सबसे ज़्यादा अच्छा ये लगा कि फिल्म कहीं से भी बोर नहीं करती। हँसी भी है, इमोशन भी है, और एक जबरदस्त मैसेज भी है। और हां, इंटरवल के बाद जो टर्न आया न, बस वहीं से मैं खुद को रोक नहीं पाया — ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे अंदर की इंसानियत को हिला दिया हो।
फिल्म के गाने, सिनेमैटोग्राफी और बच्चों की एक्टिंग एकदम टॉप क्लास है। और आमिर खान… भाई क्या ही कहें, वो हर बार कुछ ऐसा कर जाते हैं जो बाकी एक्टर्स बस सोचते रह जाते हैं।
अगर आप फैमिली के साथ कोई फिल्म देखने का प्लान बना रहे हो, तो “सितारे ज़मीन पर” ज़रूर देखिए। ये सिर्फ फिल्म नहीं है, ये एक एहसास है।